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विश्वविद्यालय भवन
खैरागढ़ सी.जी
कला एवं संगीत को समर्पित एशिया महाद्वीप का एकमात्र विश्वविद्यालय
रायपुर से 140 कि.मी. एवं डोंगरगढ से 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित खैरागढ, इंद्रा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के लिए प्रसिद्ध है। स्वाधीनता से पूर्व खारागढ एक रियासत थी। मेहरागढ रियासत की राजकुमारी इंद्रा की स्मृति में स्थापित भिरागढ की प्रेरणा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, एशिया महाद्वीप का इकलौता ऐसा विश्वविद्यालय है, जो कला एवं संगीत को समर्पित है।
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना, रियासत के 24वें राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह और रानी पद्मावती देवी उनकी राजकुमारी 'इंदिरा' के नाम पर उनके जन्म दिवस 14 अक्टूबर 1956 को की गई थी।
राजा साहब व रानी साहिबा ने अपना महल 'कमल विलास पैलेस' दान कर दिया। यह विश्राम विद्यालय आज भी इसी भवन से संचालित हो रहा है। यहां ललित कलाओं के अंतर्गत गायन, वादन, नृत्य, नाट्य और दृश्य कलाआएं की विधिवत् शिक्षा दी जाती है। कुछ अतिरिचित हिन्दी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य ऐर संस्कृत साहित्य विषय भी अध्ययन चौकियां रेटिंग्स। प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृत एवं पुराण विभाग भी इस विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण विभाग है, साथ ही एक ऐसा संग्रहालय भी है जिसमें विभिन्न काल की मूर्तियां तथा सिक्कों की खोज की गई है।
यहां आने वाले छात्रों में भारत के विभिन्न प्रदेशों के अतिरिक्त अन्य मामले जैसे ग्री, थाईलैण्ड, अफगानिस्तान आदि से भी छात्र बड़े संख्या में संगीत की शिक्षा ग्रहण करते हैं। साथ ही समय-समय पर विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय तय व अंतर्राष्करण विषयक, वर्क शॉप, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि का आयोजन संस्करण मंत्रालय के सहयोग से जारी होते हैं जिसमें देश व विदेश के खयातिलब्ध कलाकार, विद्वान, विषय व संगीताचार्य अपने वक्तव्य एवं संगीत से संबंधित होते हैं ज्ञान विश्वविद्यालयीन छात्रों के साथ साझा करते हैं।
विशाल दुबे मूर्तिकला कलाकार विश्वविद्यालय संग्रहालय iksvv
कुलपति डॉ मांडवी सिंह इंद्र कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़
कुलपति डॉ मांडवी सिंह इंद्र कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़
विश्वविद्यालय भवन खारागढ़
विश्वविद्यालय भवन खारागढ़
खैरागढ़ में महोत्सव
नृत्य कला
कुलपति डॉ मांडवी सिंह इंद्र कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़










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